Foxtail millet in hindi explaination

इस आर्टिकल में कंगनी क्या है (foxtail millet in hindi), कंगनी खाने के फायदे और नुकसान (Foxtail millet benefits and side effects), इसकी खेती एवं इससे जुडी अन्य जानकारियां दी गयी हैं

कोंई, कंगनी या काफनी वनस्पतिक नाम सेटेरिया इटेलिका (Setaria italica) है, जो पोएसी (Poaceae) कुल से संबंधित है। यह एक महत्वपूर्ण पौष्टिक अनाज है जो विभिन्न भागों में उपयोग किया जाता है। अंग्रेजी में इसे “foxtail millet” के नाम से जाना जाता है। यह मोटे अनाजों में से एक है जो प्राचीन फसल के रूप में बोई जाती है।

कोंई या कंगनी भारत में नागालैंड और दक्षिण भारत के छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में प्रमुख अनाज के रूप में उगाया जाता है। इसके अलावा देश के अन्य क्षेत्रों में भी यह अनाज उगाया जाता है। विदेशों में, यह चीन का मुख्य अनाज है और इसे छोटा चावल भी कहा जाता है। अमेरिका और यूरोप में इसे पक्षियों के लिए उगाया जाता है। इसे पूर्वी एशिया व चीन में ईसा पूर्व 6000 वर्ष से उगाया जाता है और इसे “चीनी बाजरा” भी कहते हैं उत्तराखंड में काँणी पहले सहायक अनाज के रूप में प्रमुखता से उगाया जाता था, लेकिन वर्तमान में यह अनाज लगभग विलुप्त हो गया है।

फॉक्सटेल मिलेट (Foxtail millet in hindi) एक एकवर्षीय अनाज है जिसके पौधे 4-7 फीट ऊँचे होते हैं। इसके बीज लगभग 2 मिलीमीटर के होते हैं और उनका रंग किस्म किस्म में भिन्न होता है। इसके बीजों पर पतला छिलका होता है जो आसानी से उतर जाता है। उत्तराखंड में ओखली में इसका छिलका उतारकर स्थानीय लोग कौणी की खीर बनाते हैं।

फॉक्सटेल मिलेट को खाद्य स्रोत के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसकी रोटी, भात, खीर और अन्य व्यंजन झंगोरे की तरह बनाए जाते हैं। आधुनिक तरीकों से इससे बिस्कुट, लड्डू, इडली और मिठाइयां भी बनाई जा सकती हैं फॉक्सटेल मिलेट स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर को आवश्यक पोषण सामग्री मिलती है जैसे कि विटामिन, फाइबर, प्रोटीन और कई और पोषक तत्व।

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कंगनी किसे कहते हैं | Foxtail millet in hindi | Kangni seed

कंगनी कौन सा अनाज है – कौणी या कोणी फसल हमारे पहाड़ों की पारंपरिक फसलों में से एक थी, जो अब पलायन की मार से लगभग विलुप्त हो चुकी है। यह फसल पूर्वी भारत के क्षेत्रों में बहुत उगाई जाती थी और इसे चावल, गेहूं और जौ से भी बेहतर माना जाता था।

कंपनी का वानस्पतिक नाम सेटिरिया इटालिका (Setaria italica) होता है। यह पोएसी कुल का एक पादप होता है जो मुख्यतः चीन में उगाई जाने वाली फसल है। यह फसल चीन में ई०पू० 600 से उत्पादित होती आ रही है और इसलिए इसे “चीनी बाजरा” भी कहा जाता है। यह फसल पूर्वी एशिया में अधिकतर उगाई जाने वाली फसलों में से एक होती है।

कंगनी (Kangni seeds in hindi) प्रतिवर्ष उत्पादित होने वाली एक फसल है। इसका पौधा लगभग 7 फीट ऊँचा होता है और इसके बीज छोटे और बारीक छिलकेदार होते हैं। इस फसल से भिन्न प्रकार के पकवान बनाए जा सकते हैं, जैसे कि रोटी, खीर, भात, इडली, दलिया, मिठाई और बिस्किट आदि। इसका उपयोग अन्य फसलों की तुलना में भी एक उत्तम पोषक तत्व के रूप में किया जाता है।

कंगनी के नाम – 

  • हिंदी –      कंगनी या कफनी काकुन, टांगुन 
  • अंग्रेजी –   Foxtail Millet, Italian millet 
  • संस्कृत –   कंगनी, प्रियंगु कंगुक, सुकुमार, अस्थिबन्धन
  • मराठी (foxtail millet in marathi) –    कांग काऊन, राल
  • गुजराती (foxtail millet in gujarati) –   कांग 
  • बंगाली –    काऊन, काकनी और कानिधान कांगनी दाना
  • तमिलनाडु –   तीनि 
  • उत्तराखंड –   कौणी या कोणी 
  • वानस्पतिक नाम-   सेटेरिया इटेलिका

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कंगनी की तासीर कैसी होती है

फॉक्सटेल मिलेट (Foxtail millet in hindi) एक सुगंधित अनाज है जो उत्तर भारत और चीन जैसे कुछ देशों में बहुत उपयोगी होता है। यह अनाज ठंडी तासीर वाला होता है जिससे गर्मियों में भी सेवन किया जा सकता है क्योंकि यह शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है। फॉक्सटेल मिलेट का सेवन वजन कम करने में भी मददगार होता है और डायबिटीज को कंट्रोल करने में भी सहायक होता है।

कंगनी का आटा | Foxtail millet flour in hindi

कोनी (फॉक्सटेल बाजरा) एक अत्यधिक पौष्टिक अनाज है जो अपने सुगंधित स्वाद के लिए जाना जाता है।  यद्यपि यह वर्तमान में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में व्यापक रूप से खेती नहीं की जाती है, यह नागालैंड, दक्षिणी भारत और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कई स्वदेशी समुदायों में मुख्य भोजन है।  मिट्टी को बांधने की अविश्वसनीय क्षमता के कारण सदियों से कोनी को खेतों और घास के मैदानों में उगाया जाता रहा है, यही कारण है कि 2011 में एफएओ द्वारा “वन सुधार दृष्टिकोण” में उपयोग के लिए सिफारिश की गई थी।

यदि ब्रेड बनाने के उद्योग में कोनी के आटे का उपयोग किया जाता है, तो न केवल ब्रेड के पोषण मूल्य में वृद्धि होगी, बल्कि इस फसल के लिए एक बेहतर बाजार बनाने में भी मदद मिलेगी, जिसमें अनुपयोगी भूमि पर महत्वपूर्ण उपज पैदा करने की क्षमता है।  यह गिरती कोनी फसल को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है और किसानों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में काम कर सकता है, इस प्रकार यह एक मूल्यवान आर्थिक संसाधन प्रदान करता है।

चीन में कोणी एक महत्वपूर्ण फसल है जो ब्रेड, नूडल्स, चिप्स, बेबी फूड, एल्कोहली बीयर और सिरका जैसी विभिन्न उत्पादों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। चीन में कोणी के अंकुरित बीज सब्जी के रूप में भी खाये जाते हैं और इसे आमतौर पर खाद्य अभाव के समय में खाया जाता है यूरोप और अमेरिका में, कोणी को चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। चीन, अमेरिका और यूरोप में, कोणी को पशुचारे के रूप में भी बहुतायत में प्रयोग किया जाता है ।

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कंगनी के चावल | Foxtail millet rice in hindi

फॉक्सटेल मिलेट का चावल एक प्रकार का अनाज है, जिसे कंगनी या चीनी बाजरा के नाम से भी जाना जाता है। यह चावल छोटे, गोल और पीले रंग का होता है और स्वाद हल्का मीठा-कड़वा होता है। इसे उबलकर उपयोग किया जाता है और इसका उपयोग गेहूं और चावल में मिलाकर भी किया जाता है।

उत्तराखंड में, कंगनी से कई पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। इसे धनिये या बेसन के साथ मिलाकर बनाए गए चावल को अक्सर उत्तर भारत में पुलाव या खीचड़ी के रूप में परोसा जाता है। चावल को पकाने के लिए, भाप युक्त अन्नपक का उपयोग किया जाता है। इससे चावल सोफ़्ट हो जाते हैं और इनका स्वाद और टेक्स्चर बेहद लाजवाब होता है।

कुल मिलाकर, फॉक्सटेल मिलेट के चावल एक स्वास्थ्यप्रद अनाज होते हैं जो पोषण से भरपूर होते हैं। ये अनाज लैकिन, ग्लूटेन फ्री नहीं होते हैं।

कंगनी की पोषण मूल्य की जानकारी | Foxtail millet nutritional value per 100g in hindi

यहां फॉक्सटेल मिलेट के प्रति 100 ग्राम के पौष्टिक मूल्य की एक तालिका है

पोषण मूल्यप्रति 100 ग्राम
कैलोरी351 कैलोरी
प्रोटीन12 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट72 ग्राम
वसा4 ग्राम
फाइबर3 ग्राम
आयरन2 मि.ग्रा.
फोस्फोरस290 मि.ग्रा.
मैग्नीशियम24 मि.ग्रा.
कैल्शियम31 मि.ग्रा.
पोटैशियम196 मि.ग्रा.
नियासिन2 मि.ग्रा.
विटामिन-बी60.3 मि.ग्रा.
विटामिन-बी10.4 मि.ग्रा.
विटामिन-बी20.1 मि.ग्रा.
फोलेट44 मि.ग्रा.

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कंगनी खाने के फायदे और नुकसान | Foxtail millet benefits and side effects in hindi

फॉक्सटेल मिलेट (Foxtail millet in hindi) भारत और चीन में उत्पादित किया जाने वाला एक प्रकार का अनाज है। इसमें रागी, बाजरा, जौ जैसे कई अन्य अनाज होते हैं जो इसे एक संपूर्ण और पौष्टिक भोजन बनाते हैं। फॉक्सटेल मिलेट एक मोटा अनाज होता है जो अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह अनाज पीले रंग का होता है और इसका स्वाद हल्का मीठा और कड़वा होता है। इसके विभिन्न नाम होते हैं, जैसे कांगनी और कंगनी।

फॉक्सटेल मिलेट स्वस्थ भोजन का एक अच्छा विकल्प है, जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के साथ आता है। यह अनाज अधिकतर लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके उपयोग से अलर्जी या प्रतिक्रिया हो सकती है। यदि आपको इस अनाज के सेवन से कोई दिक्कत होती है, तो इसे खाने से बचना चाहिए और अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए फॉक्सटेल मिलेट में विटामिन, मिनरल और फाइबर शामिल होते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है आज हम आपको कंगनी मिलेट के फायदे और नुकसान के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी प्रदान करते है ।

कंगनी खाने के फायदे | Foxtail millet benefits in hindi

Kangni khane ke fayde – कंगनी (Foxtail millet) एक पौष्टिक अनाज है जो विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम और डाइटरी फाइबर की अधिक मात्रा पाई जाती है जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके साथ ही, कंगनी में विभिन्न मिनरल्स, एंजाइम्स और विटामिन्स का समृद्ध संग्रह होता है। इसमें फॉलिक एसिड, मैग्नीशियम, पोटैशियम और बीटा-केरोटिन जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं यहाँ हम बतायेगे आपको इसके कुछ फायदों के बारे में ।

  • कंगनी में आयरन कैल्शियम अच्छी मात्रा में होने के कारण यह अनाज हड़ियों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
  • कोणी या कंगनी के सेवन से शरीर में नर्वस सिस्टम की समस्या में लाभ मिलता है।
  • कंगनी अनाज में फाइबर अधिक होने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी अनाज है।
  • कोणी अनाज या कंगनी का एक फायदा यह भी है कि यह अनाज खून में कोलोस्ट्रोल लेबल कंट्रोल करता है।
  • सुपाच्य अनाज है कौणी या कंगनी इसे 6 से 8 घंटे भीगाकर बनाकर, छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भोजन में दिया जा सकता है।
  • कंगनी अनाज वजन कम करने में सहायक होता है।
  • कंगनी में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट की वजह से यह कैन्सर से लड़ने में सहायक है।
कंगनी के फायदे | Foxtail millet benefits in hindi

कंगनी के आटा के फायदे | Kangni flour benefits in hindi

कंगनी का आटा काफी पौष्टिक होता है हालांकि कंगनी वर्तमान में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लोग अत्यंत ही कम उगा रहे हैं लेकिन नगालैंड व दक्षिणी भारत सहित छत्तीसगढ़ के जन जातीय क्षेत्रों में कंगनी प्रमुख रूप से उगायी तथा खायी जा रही है फॉक्सटेल मिलेट आटे के फायदे निम्नलिखित हैं:

  • आर्थराइटिस का इलाज: फॉक्सटेल मिलेट आटे में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट ग्लुटेथियोन से भरपूर होते हैं जो बढ़ते उम्र और अधिक वजन से होने वाले आर्थराइटिस के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
  • डायबिटीज का नियंत्रण: फॉक्सटेल मिलेट आटे में मौजूद बायोएंजाइम्स के कारण शरीर के अधिक ग्लूकोज का सेवन नहीं होता है जो डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
  • वजन कम करने में सहायक: फॉक्सटेल मिलेट आटे में अनेक प्रकार के विटामिन, प्रोटीन और फाइबर होते हैं जो शरीर के वजन को कम करने में मदद करते हैं।
  • डाइजेशन में सहायक: फॉक्सटेल मिलेट आटे में फाइबर की अधिक मात्रा होती है जो खाद्य पदार्थों को आसानी से पचाने में मदद करती है।
  • हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: फॉक्सटेल मिलेट आटे में अनेक प्रकार के विटामिन, प्रोटीन और फाइबर नियासिन, फोलिक एसिड और थायमिन जो हृदय संबंधी समस्याओं के खतरों को कम करने में मदद करते हैं।
  • विटामिन और मिनरल का समृद्ध स्रोत: फॉक्सटेल मिलेट आटे में अनेक प्रकार के विटामिन और मिनरल होते हैं जैसे कि विटामिन बी, फोस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन आदि जो स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक होते हैं।

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कंगनी के चावल खाने के फायदे | Kangni ke chawal ke fayde

फॉक्सटेल मिलेट चावल (Fox-tail Millet Rice) एक पौष्टिक अनाज है जो कि आपके शरीर के लिए कई फायदों से भरा होता है। इसके कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:

  • वजन घटाने में मददगार: फॉक्सटेल मिलेट चावल वजन घटाने में सहायक होता है क्योंकि यह फाइबर से भरपूर होता है, जो आपको भूख कम करने में मदद करता है।
  • डायबिटीज के लिए उपयोगी: फॉक्सटेल मिलेट चावल के नियमित सेवन से डायबिटीज के लिए उपयोगी नियमित होता है क्योंकि यह शरीर के ग्लूकोज स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है।
  • हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: फॉक्सटेल मिलेट चावल में मौजूद फाइबर, पोटैशियम और मैग्नीशियम नामक पोषक तत्व हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
  • आर्थराइटिस के लिए उपयोगी: फॉक्सटेल मिलेट चावल में मौजूद ग्लुटेथियोन नामक एंटीऑक्सिडेंट आर्थराइटिस के रोगियों के लिए उपयोगी होता है।
  • त्वचा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: फॉक्सटेल मिलेट चावल में मौजूद विटामिन ए, सी और डी त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं।
  • अल्परोग के लिए उपयोगी: फॉक्सटेल मिलेट चावल अल्परोग के लिए उपयोगी होता है।
  • शरीर के लिए ऊर्जा स्त्रोत: फॉक्सटेल मिलेट चावल शरीर के लिए ऊर्जा स्त्रोत के रूप में काम करता है। यह शरीर को शक्ति देता है और थकान दूर करता है।

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कंगनी खाने के नुकसान | Foxtail millet side effects in hindi

Kangni khane ke nuksan – फॉक्सटेल मिलेट एक पौष्टिक अनाज है जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें कैल्शियम, डाइटरी फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉलिक एसिड, बीटा-केरोटिन जैसे पोषक तत्व होते हैं हालांकि, इसे अत्यधिक मात्रा में उपभोग करने से कुछ नुकसान हो सकते हैं। उच्च मात्रा में फॉक्सटेल मिलेट का सेवन करने से अपच, गैस, ब्लोटिंग, और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं आइये जानते है इसके नुकसान के बारे में । 

  • कोणी या कंगनी को पकाने से पहले लगभग 6 घंटे भीगना आवश्यक है नही तो पाचन की समस्या हो सकती है।
  • इसका अत्यधिक प्रयोग या रोज प्रयोग से थायराइड कि समस्या हो सकती है।
  • इसको पकाने और खाने के बाद पानी का अधिक प्रयोग करना चाहिए नहीं तो परेशानी हो सकती है।

इसलिए, फॉक्सटेल मिलेट का सेवन सही मात्रा में इसका सेवन करना आवश्यक है और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित डाइट में शामिल करना चाहिए।

कंगनी का पौधा | कंगनी की खेती कैसे की जाती है?

कंगनी की खेती – कंगनी (Foxtail Millet in hindi) एक मोटा अनाज (Millets. Cropa) है जो दूसरी सबसे अधिक बोई जाने वाली फसलों में से एक है। यह एकवर्षीय पौधा होता है जिसका ऊँचाई 4 से 7 फीट तक होती है। इसके बीज बहुत छोटे होते हैं जिनका आकार लगभग 2 मिलीमीटर होता है और इनका रंग किरकिरा में भिन होता है। इन बीजों का छिलका पतला होता है जो आसानी से हट जाता है। भारत में, कंगनी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उगाया जाता है। इससे रोटी, खीर, चावल, इडली, दलिया, मिठाई और बिस्किट जैसे कई पकवान बनाए जाते हैं।

कंगनी की खेती के लिए बीज की मात्रा

बुवाई के लिए, पनीरी फसल के लिए 800 ग्राम प्रति एकड़ और सीधी बिजाई के लिए 2.5 से 3 किलोग्राम प्रति एकड़ की बीज आवश्यक होती है।

बुवाई का अनुकूल समय

अप्रैल से जुलाई के बीच कंगनी की बिजाई की जा सकती है। कंगनी की फसल का उचाई 2.5 से 3 फुट होती है और पकने के लिए 80 से 100 दिन की अवधि लगती है। कंगनी की एक एकड़ में उत्पादित दाने की मात्रा 6-7 क्वांटिटी होती है जबकि चारा 8-16 क्वांटिटी मिलता है। बीज बिजाई से पहले 12 घंटे तक पानी और कच्चे दूध के मिश्रण में भिगोया जाना चाहिए। एक लीटर पानी में देसी गाय के एक गिलास ताजा दूध (बिना उबला हुआ मिलाया गया) डालकर इसमें बीज 10-12 घंटे भिगोने के बाद उनको छानकर सुखा लें और फिर उन्हें बिजाई करें।

पनीरी की बुवाई करने का तरीका

एक एकड़ की पनीरी के लिए, सबसे पहले जमीन की जुताई करें ताकि वह समतल हो जाए। जमीन को उच्च या निचली न करें। फिर, 800 ग्राम बीज को दो बार छीटा देकर समतल जमीन पर फैलाएं। बीज को तंगली या पंजे के साथ ऊपर की मिट्टी में मिलाएं। अगर संभव हो तो क्यारी की नेपाली के साथ मल्चिंग कर दें और बीज को लगाने से पहले पानी दें। बीज को तीन से चार दिनों तक भिगोने दें। जब बीज हरे रंग का हो जाए, तब शाम के समय भूसे पराली से उसकी तह हटा दें। 20 से 25 दिनों में पनीरी खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाएगी।

पनीरी को 3 तरीकों से खेत में लगाया जा सकता है

  • जब पलेवा करने के बाद जमीन सुखा जाए तो, सुहागा लगाकर जमीन को समतल कर दें। फिर खेत में एक क्यारी बनाएं जिसे पानी से भर दें। खेत पानी सोखने तक छोड़ दें। जब पानी सोख जाए, तो खेत में लाइनों में पौधे लगाएं। लाइन से लाइन की दूरी 1.5 फुट रखें और पौधे से पौधे की दूरी एक फुट रखें।
  • रिजर (आलू वाले हल) के साथ मेड तैयार करें और खेत में रखें। अब खालीयों को पानी से भर दें। मेड की नमी उतनी होने तक छोड़ दें जब तक उसमें सिलाब नहीं चढ़ता। फिर, मेड के चारों ओर 11 फुट की दूरी पर पौधे लगाएं। एक खाली बंद कर दें ताकि पानी अच्छी तरह से सकता हो सके।
  • बैंड मेकर के साथ, 2 फुट चौड़ाई के मेड तैयार करें। खालीयों में पानी भर दें और शाम के समय पैदावार के लिए पनीरी को खाली के किनारे से 6 इंच बेड के अंदर लगाएं। अगर संभव हो तो, बैंड के साथ मलचिंग करें।

सीधी बिजाई के माध्यम से कंगनी की कारत

आप काई से तीन किलो बीज को लेकर शुरू कर सकते हैं। सबसे पहले बीज को 12 घंटे दूध और पानी के पोल में भिगोकर उन्हें अच्छी तरह से मिलाकर सुखाने दें।

फिर जब आपके पास एक नमी पूर्ण जमीन हो, तो आप हैपी सीडर या सीड ड्रिल के साथ बिजाई कर सकते हैं। याद रखें कि लाइन से लाइन की दूरी डेढ़ से दो फुट होनी चाहिए। पौधों की अंतर-दूरी 10 सेंटीमीटर रखें और बीज की गहराई 2-3 सेंटीमीटर होनी चाहिए इसके अलावा, आप याद रखें कि पौधों को समय-समय पर सिंचित रखें ताकि वे अच्छी तरह से विकसित हो सकें। आप भी उन्हें खाद दे सकते हैं ताकि वे ज्यादा स्वस्थ हों।

खरपतवार नियंत्रण

खेत में कंगनी से उत्पन्न खरपतवार को हटाने के लिए, त्रिपाली, कसाई या खुरपी का उपयोग करना आवश्यक होता है। इन उपकरणों का इस्तेमाल करके, खरपतवार को मिटाने के लिए गुड़ाई करनी होती है।

सिंचाई

अगर आप मूल अनाजों को बेहतर तरीके से उगाना चाहते हैं, तो आपको ध्यान देना होगा कि इन्हें उन्नत तरीकों से खेत में लगाया जाना चाहिए। इसके लिए आपको मिट्टी की नमी की जांच करनी होगी ताकि आप इन्हें उचित मात्रा में सिंचाई कर सकें। आपको बारिश के मौसम को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि अधिक वर्षा के मौसम में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, आपको सिंचाई के दौरान गुड़ जल अमृत या वेस्ट डीकॉम्पोसर का पोल छोड़ना चाहिए ताकि मिट्टी में आवश्यक मिनरल और पोषक तत्व उपलब्ध हो सकें। ध्यान रखें कि आपको इन अनाजों को कम से कम पानी लगाकर पकाना चाहिए ताकि वे अधिक उपजाऊ हो सकें।

कीट और रोग प्रबंधन

कंगनी एक प्रभावी फसल है जो कीटों और रोगों के लिए अतिरिक्त संरक्षण के बिना भी बढ़ती है। इस फसल को कम पानी देने से कीट और रोगों की आमतौर पर होने वाली समस्याओं की संभावना कम होती है और इससे पौधे की जड़ मजबूत होती है। इस फसल को समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है और प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। छिलका इस फसल के दानों के वजन को कम करता है इसलिए छिलके को निकालना जरूरी होता है। इस फसल के दाने अच्छी तरह से विकसित होते हैं और यह फसल अधिक प्रतिफल देती है।

फसल की कटाई

जब कंगनी की बालिया पीले भूरे रंग की हो जाती है, तब इसका मतलब होता है कि फसल तैयार हो चुकी है और फसन काटने के लिए उसे तैयार किया जा सकता है। पौधों के रोपण के बाद, कंगनी की बालिया उगने लगती है और उसके दाने हरे रंग से लेकर पीले भूरे रंग की तक बदलते हैं। फसल पकने के समय, छोटी लाल भूरे रंग की चिड़ियां फसल के दानों को खा जाती हैं, इसलिए फसल की रखवाली का ध्यान रखना जरूरी होता है। फसल काटने के लिए, पूरे पौधे को जमीन से काटा जाता है और दानों को प्रेशर की मदद से अलग कर लिया जाता है।

फसल चक्र

बायोडाइवर्सिटी और जलवायु संबंधी बदलते मौसम के चलते कृषि उत्पादन में विविधता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण फसल कंगनी है। यह सबसे अधिक चरम जलवायु के लिए भी अनुकूल होती है। कंगनी को अन्य फसलों के साथ बीच में बिजाई करने से लाभ होता है, जैसे कि सरसों, मूंग, मक्का आदि। कंगनी की फसल की अवधि 100 दिन होती है और इसे अप्रैल-मई या जुलाई-अगस्त में बोई जा सकती है। बावजूद इसके, बोने समय पर बारिश शुरू न होना चाहिए जो इसके विकास को प्रभावित कर सकती है। फसल की देखभाल में अधिक पानी देने से खराबी होने की सम्भावना हो सकती है, इसलिए ध्यान रखना आवश्यक होता है।

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(Foxtail Millet) कंगनी से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल

Q. फॉक्सटेल मिलेट को हिंदी में क्या कहते हैं?

फॉक्सटेल मिलेट एक सकारात्मक अनाज (positive grain) है जो कि ‘कंगनी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रकार की चारा घास होती है और इसे मोटा अनाज भी कहा जाता है।

Q. कंगनी अनाज कौन सा होता है?

फॉक्सटेल मिलेट एक प्रकार का मोटा अनाज है जिसे कंगनी, कफनी, काकुंन और टांगुन जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह एक चारा घास का प्रकार है और अंग्रेजी में इसे ‘Foxtail Millet’ और ‘Italian millet’ नाम से भी जाना जाता है।

Q.फॉक्सटेल किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

फॉक्‍सटेल मिलेट एक अति उपयुक्त भोजन है, विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए। यह अत्यंत सुलभता से पचता है और 2 फॉक्‍सटेल मिलेट को सहज रूप से पचाया जा सकता है। इसलिए, इसे भोजन के रूप में लेने से पेट में दर्द या गैस से राहत मिलती है।

Q.फॉक्सटेल बाजरा का सामान्य नाम क्या है?

फॉक्‍सटेल मिलेट के अलावा, इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। इसके अन्य प्रचलित नामों में बौना सेटरिया, फॉक्सटेल ब्रिसल-घास, विशाल सेटरिया, हरी फॉक्सटेल, इतालवी बाजरा, जर्मन बाजरा और हंगेरियन बाजरा शामिल हैं।

Q.फॉक्सटेल बाजरा थायराइड के लिए अच्छा है?

एक अध्ययन 1989 में किया गया जिससे पता चला कि फॉक्सटेल मिलेट सी-ग्लाइकोसिलफ्लेवोन्स से भरपूर होता है जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में अवरोध कर सकता है जो अंततः गोइटर या थायरॉइड की बढ़त का कारण बन सकती है।

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