मिलेट्स क्या है तथा इसके प्रकार | Types of Millets in hindi (siridhanya)

इस आर्टिकल में मिलेट्स क्या होता है, Types of Millets in hindi (मिलेट्स कितने प्रकार के होते हैं), siridhanya क्या होता है तथा मिलेट्स से जुडी अन्य जानकारियाँ दी गयी हैं

मिलेट एक प्रकार का प्राचीन अनाज है जो दो तरह के अनाजों से बनता है एक तो मोटे अनाज वाला होता है जो Poaceae परिवार के अंतर्गत आता है, और दूसरा तरह छोटे दानों वाला अनाज होता है जो भी Poaceae परिवार से सम्बंधित होता है। अधिकांश लोगों को मिलेट से बाजरे का संबंध याद आता है, जो मिलेट में सबसे ज्यादा लोकप्रिय होने के कारण होता है।

यह भारत, नाइजीरिया और अन्य एशियाई और अफ्रीकी देशों जैसे देशों में उगाया जाता है यह एक छोटा, गोल और साबुत अनाज है जिसे बहुत कम पानी में उगाया जा सकता है मोटे अनाज भी रक्तचाप को कम कर सकते हैं और गैस्ट्रिक अल्सर और पेट के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं बाजरा कब्ज, सूजन और मोटापे को कम करने में भी मदद कर सकता है।

 बाजरा फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो इसे एक संपूर्ण अनाज बनाता है जो विभिन्न तरीकों से आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है।

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से 72 देशों के सहयोग से 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है। इस अवसर पर दुनिया भर में कई आयोजन हो रहे हैं जिनमें मोटे अनाजों से जुड़े विषयों पर विस्तृत चर्चा हो रही है। भारत में भी इस अवसर को ध्यान में रखते हुए कई तैयारियां चल रही हैं।

अधिकतर राज्य सरकारें किसानों को मोटे अनाज उगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं और साथ ही लोगों को थाली तक इसे पहुंचाने के लिए भी जागरूकता फैलाई जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य है लोगों को मिलेट जैसे पोषक अनाजों के बारे में जागरूक करना, खासतौर पर शहरों में जहां गेहूं और चावल की प्रचलनता ज्यादा होती है।

इस चुनौतीपूर्ण काम में थालियों तक 10 प्रकार के पोषक अनाजों को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण कदम है। इसलिए, (Millets in Hindi) मिलेट के प्रोसेस्ड फूड उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन उत्पादों को बनाने के लिए भारत में कई संगठनों और कंपनियों ने काम शुरू किया है। इनमें से कुछ उदाहरण हैं – सोलरी, प्रथम दाना, इंडियन मिलेट अंडर्सटैंडिंग एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (IMAD), आदि। इन संगठनों द्वारा मिलेट से बने प्रोसेस्ड फूड उत्पादों का विस्तार किया जा रहा है ताकि इसे लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके।

इसके साथ ही, सरकार भी इस मुहीम में अहम भूमिका निभा रही है। कुछ राज्यों में मिलेट की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और सरकार उन किसानों को भी सहायता प्रदान कर रही है जो मिलेट की खेती करते हैं इसके साथ ही, सरकार ने भी कुछ सुविधाएं प्रदान की हैं जैसे कि उत्पादन और परिपक्वता अनुदान आदि जिससे कि मिलेट से बने उत्पादों का विकास और उन्हें विश्व भर के बाजार में प्रवेश मिल सके।

इस तरह से, भारत अपनी ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेट की खेती को बढ़ावा देने और उससे बने उत्पादों का विकास कर उन्हें विश्व भर में प्रवेश दिलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।

अनाज को तीन श्रेणी में रखा गया है।

  1. Negative Grains : इनका लगातार सेवन करते रहने से भविष्य में कई तरह की बीमारियों की सम्भावना रहती है जैसे-  गेहूं, चावल।
  1. Neutral Grains : ये मोटा अनाज कहलाता है। इनके सेवन से शरीर में न कोई बीमारी होती है और न ही कोई बीमारी हो तो वह ठीक होती है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है ये अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं जैसे- बाजरा, ज्वार रागी और प्रोसो।
  1. Positive Grains : पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत छोटे अनाज आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है जैसे- कंगनी, सामा, सनवा, कोदो और छोटी कंगनी

Neutral grains और positive grains को संयुक्त रूप से मिलेट कहा जाता है। अब हम आगे मिलेट्स के प्रकार (Types of Millets in Hindi) के बारे में बात करेंगे।

पॉजिटिव मिलेट क्या है | What is Positive Millet in hindi ?

Positive Millets in hindi – पॉजिटिव मिलेट उन अनाज को कहा जाता है जो पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है। सभी पॉजिटिव मिलेट पोएसी फैमिली के अंतर्गत आते हैं। ये अनाज कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। ये अनाज आकार में बहुत छोटे होते हैं। पॉजिटिव मिलेटस फाइबर से भरपूर होते हैं। इन्हें पकाने से पहले 6 से 8 घंटे पानी में भिगोकर रखना होता है ताकि उनके फाइबर नरम हो सके। इन मिलेट्स को मिक्स करके नहीं पकाया जाता पॉजिटिव मिलेट के अंतर्गत पांच मिलेट आते हैं-

  • Foxtail Millet ( कंगनी)
  • Little Millet ( सामा, कुटकी)
  • Barnyard Millet ( सांवा, सनवा)
  • Kodo Millet ( कोदो)
  • Browntop Millet (छोटी कंगनी हरी कंगनी )

 विभिन्न प्रकार के मिलेटस | Different Types of Millets in Hindi | Millet in hindi name

List of millets in hindi – यहाँ 9 तरह के पाए जाने वाले मिलेटस के बारे में बताया गया है जिनको siridhanya भी कहते हैं

  1. ‘पुनर्वा’ बाजरा (proso millet) 
  1.  ज्वार (Sorghum millet in Hindi)
  1. बाजरा  (pearl millet)
  1.  रागी (Finger Millet in Hindi)
  1. सांवा या सनवा बाजरा  (barnyard millet)
  1.  कोदो बाजरा (kodo millet)
  1.  छोटी कंगनी हरी कंगनी बाजरा  (browntop millet)
  1.  कंगनी बाजरा (foxtail millet)
  1.  कुटकी बाजरा (Little millet in Hindi)

पुनर्वा बाजरा (proso millet)

पुनर्वा बाजरा (proso millet) एक प्रकार का अनाज होता है जो धान के समान उत्पादित किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम “Panicum miliaceum” है। इसकी खेती दक्षिण एशिया, यूरोप और अफ्रीका में व्यापक रूप से की जाती है प्रोसो बाजरा के दाने छोटे होते हैं और सफ़ेद रंग के होते हैं। इसमें कई पोषक तत्व और विटामिन्स होते हैं जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B6, फॉलिक एसिड और नियासिन। इसके अलावा, कुछ मिनरल्स जैसे कि कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम होते हैं।

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ज्वार (Sorghum)

ज्वार एक अहम खाद्य फसल है जो कि कई प्रजातियों में उगाई जाती है। इसमें से अधिकतर प्रजातियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है। हालांकि, sorghum bicolor नाम की एक ज्वार प्रजाति को खाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। ज्वार अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होता है जैसे विटामिन बी, मैग्नेशियम, फ्लेवोनॉइड, फेनोलिक एसिड और टैनेन।

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बाजरा (pearl millet)

बाजरा (pearl millet) एक मोटा अनाज है जो सबसे ज्यादा उगाया जाता है और सबसे ज्यादा खाया जाता है। भारत और अफ्रीका में बाजरे की सबसे अधिक खेती होती है। इसे बजरी या कंबू के नाम से भी जाना जाता है। बाजरा को कम सिंचाई वाले इलाकों में भी उगाया जा सकता है और यह उन इलाकों के लिए एक वरदान है बाजरे के दाने को अलग करने के बाद, इसे पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, बाजरे के फसल अवशेषों से जैव ईंधन बनाया जाता है।

बाजरे में प्रोटीन, फाइबर, अमीनो एसिड जैसे कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो स्वस्थ आहार के रूप में उपयोगी होते हैं। बाजरे से ब्रेड, दलिया, कुकीज और अन्य विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं।

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 रागी (Finger Millet) –

रागी (Finger Millet) एक प्रकार का अनाज है रागी को मडुआ और नाचनी नाम से भी जाना जाता है। इसे इंग्लिश में Finger Millet कहते हैं। यह राई के दाने की तरह गोल, गहरे भूरे रंग का चिकना दिखता है। आयरन से भरपूर रागी रेड ब्ल्ड सेल्स में हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए एक जरूरी ट्रेस मिनरल है अन्य अनाजों की तुलना में कम जगह लेता है

इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और फाइबर जैसे विभिन्न पोषक तत्व मौजूद होते हैं। रागी का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह हृदय रोगों को रोकता है, मधुमेह को नियंत्रित रखता है, रक्त शर्करा को कम करता है और डाइजेस्टिव सिस्टम को स्वस्थ रखता है।

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सांवा या सनवा बाजरा (barnyard millet)

बार्नयार्ड को हिंदी में सांवा या सनवा कहते हैं। यह बार्नयार्ड के नाम से ज्यादा प्रचलित है। यह पांच पॉजिटिव मिलेट में से एक है। यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है। 45 से 60 दिन के अंदर यह काटने के लिए तैयार हो जाता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। बरनीर्ड बाजरा ग्लूटेन-फ्री होता है, जिससे यह ग्लूटेन एलर्जी वाले लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प होता है।

इसके अलावा बरनीर्ड बाजरा आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग होता है और मधुमेह के मरीजों के लिए एक अच्छी खाद्य पदार्थ होता है। इसके सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है और साथ ही यह शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। बरनीर्ड बाजरा की खीर, उपमा, और दोसा जैसी विभिन्न पकवान बनाए जाते हैं।

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 कोदो बाजरा (kodo millet)

कोदो बाजरा (kodo millet) एक प्रकार का अनाज है जो पांच पॉजिटिव मिलेट में से एक है। हिंदी में इसे कोदों या केद्रव कहा जाता है। इसका रंग लाल होता है और इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कफ और पित्त दोष को शांत करते हैं। कोदो मिलेट को ब्लड प्यूरीफायर कहा जाता है क्योंकि इससे डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर और पेट संबंधी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। इसका सेवन लिवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद होता है और किडनी संबंधी रोगों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है।

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छोटी कंगनी / हरी कंगनी बाजरा  (browntop millet)

ब्राउनटॉप एक पॉजिटिव मिलेट है जिसकी ऊपरी परत ब्राउन रंग की होती है, जिसे इसके नाम के रूप में उल्लेख किया जाता है। इसे हरी कंगनी और छोटी कंगनी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी धातुओं का रंग हल्का हरा होता है। यह फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है और ग्लूटेन मुक्त होने के कारण इसे अलर्जी वाले लोग भी सेवन कर सकते हैं।

इसके विटामिन ए और विटामिन सी के साथ-साथ विटामिन B 17 भी होता है जो कैंसर से लड़ने में मदद करता है। ब्राउनटॉप के सेवन से डायबिटीज, हृदय रोग और पेट संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं। इसका सेवन एडिक्शन से रिकवरी करने में भी मदद करता है।

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 कंगनी बाजरा (foxtail millet)

कंगनी बाजरा, जिसे foxtail millet भी कहा जाता है, एक पॉजिटिव मिलेट होता है जो प्राचीन फसलों में से एक है। इसकी खेती दक्षिण भारत में की जाती है। इस छोटे पीले दाने वाले अनाज में फाइबर की मात्रा अच्छी होती है और यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होता है। कंगनी में एमिनो एसिड्स, प्लांट कंपाउंड्स, विटामिन्स और कई मिनरल्स भी पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर को विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता पूरी होती है और कई फायदों का लाभ मिलता है।

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 कुटकी बाजरा (Little millet)

कुटकी बाजरा एक प्रकार का पॉजिटिव मिलेट होता है जो भारत में प्रचलित है। यह एक छोटा दाना होता है जो सफेद रंग का होता है। इसकी खेती भारत में की जाती है और इसे मुख्य रूप से जंगली भूमि में उगाया जाता है। कुटकी बाजरा ग्लूटेन-फ्री होता है जो उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो ग्लूटेन से पीड़ित होते हैं। इसमें फाइबर, प्रोटीन और भी अनेक पोषक तत्व होते हैं जो इसे स्वस्थ खाद्य पदार्थ बनाते हैं। यह विभिन्न बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर।

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Types of Millets in Hindi

बाजरा के पोषण संबंधी लाभ | Benefits of millets in Hindi

बाजरा एक पौष्टिक अनाज है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं जैसे –

  • पोषण –  बाजरा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, और विटामिन बी की अच्छी मात्रा होती है, जिससे यह एक स्वस्थ भोजन का हिस्सा बन सकता है।
  • ग्लूटेन मुक्त-    बाजरा ग्लूटेन-मुक्त होता है, इसलिए उसे विशेषकर ग्लूटेन संवादित व्यक्तियों के लिए सही हो सकता है।
  • फाइबर – बाजरा में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जिससे पाचन स्वस्थ रह सकता है और कब्ज की समस्या को कम किया जा सकता है।
  • विटामिन और मिनरल्स – इसमें थायमिन (विटामिन बी1), रिबोफ्लाविन (विटामिन बी2), निआसिन (विटामिन बी3), फोलिक एसिड, आयरन, और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं।
  • ग्लाइसेमिक इंडेक्स – बाजरा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स मध्यम होता है, जिससे ब्लड सुगर को संतुलित रखने में मदद मिल सकती है।
  • स्वस्थ दिल – बाजरा में आयरन, मैग्नीशियम, और फाइबर होता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है।

कृपया ध्यान दें कि बाजरा का सेवन मानव के आहार के साथ संतुलनित रूप से करना चाहिए और किसी भी नई आहार पर जाने से पहले एक पेशेवर स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

अन्य अनाजों के साथ बाजरा की तुलना

बाजरा को अन्य अनाजों के साथ तुलना करने के लिए यहाँ कुछ प्रमुख अनाजों के साथ इसकी तुलना की गई है-

  • गेहूं (Wheat) –  बाजरा गेहूं की तुलना में ग्लूटेन-मुक्त होता है, जिससे ग्लूटेन एलर्जी या सेलियाक रोग के लिए एक विकल्प हो सकता है। गेहूं अधिक प्रोटीन और गुड़िया (बोझन) पैदा कर सकता है।
  • राइ (Rye) – बाजरा और राइ दोनों ग्लूटेन-मुक्त होते हैं, लेकिन बाजरा थोड़ा अधिक पोषणीय खनिजों का स्रोत हो सकता है।
  • जौ (Barley) – जौ भी ग्लूटेन-मुक्त होता है, लेकिन इसमें बाजरे की तरह अधिक प्रोटीन नहीं होता है। जौ का उपयोग अक्सर बीयर और अन्य पदार्थों में किया जाता है।
  • चावल (Rice) – बाजरे की तुलना में चावल ग्लूटेन-मुक्त होते हैं और यह भारत में प्रमुख खाद्य पदार्थ है। चावल का उपयोग विभिन्न खाद्य पकवानों में होता है।
  • ओट्स (Oats) – ओट्स भी ग्लूटेन-मुक्त हो सकते हैं, लेकिन क्रॉस-कंटैमिनेशन की समस्या के चलते ग्लूटेन-संवादी व्यक्तियों को सावधान रहना चाहिए।

बाजरा, जैसे कि आपने देखा, ग्लूटेन-मुक्त होता है और कुछ अन्य अनाजों की तुलना में विशेष पोषणीय मूल्य प्रदान कर सकता है। आपके आहार में इन अनाजों का सही संघटन और मिश्रण अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों के आधार पर चुनना महत्वपूर्ण होता है।

बाजरा को आहार में शामिल करने के फायदे

अगर आप बाजरें को आपके आहार में शामिल करते है तो इसके कई अनगिनत फायदे हो सकते हैं जैसे कि –

  • पौष्टिकता – बाजरा पौष्टिक ग्रेन है जो फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होता है। यह आपको ऊर्जा देता है और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • ग्लूटेन फ्री – बाजरा ग्लूटेन फ्री होता है, इसलिए वे लोग जो ग्लूटेन इंटॉलरेंस या सेलिएक रोग से पीड़ित हैं, वे इसे सही से खा सकते हैं।
  • काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स – बाजरा के अंकुरित अनाज में काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो विटामिन्स, मिनरल्स, और फाइबर के साथ होते हैं, जो आपकी आहार में पौष्टिकता बढ़ाते हैं।
  • सिंपल डाइजेस्टिबिलिटी – बाजरा आसानी से पाचन किया जा सकता है, इसलिए यह पेट को आरामदायकी देता है और बवासीर और पेट संबंधित समस्याओं से राहत प्रदान कर सकता है।
  • दिल के स्वास्थ्य के लिए –    बाजरा में मौफसली फैट की कमी होती है, जिससे दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
  • अंग्रेजीयों से बचाव – बाजरा आपको विभिन्न इंग्रेजीयों से बचाने में मदद करता है, क्योंकि यह एक ग्रेन फूड होता है और इंग्रेजी खाद्य सामग्रियों के साथ तुलना में साँस्कृतिक और पौष्टिक होता है।
  • वजन कम करने में मदद – बाजरा का सेवन वजन को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह आपको ज्यादा समय तक भूख नहीं लगने देता है और ऊर्जा देता है।

इन फायदों के साथ, बाजरा को अपने आहार में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। ध्यान दें कि यह अधिक मात्रा में खाने से बचें ताकि समय-समय पर खाने से आपके लिए सही हो।

बाजरा के पर्यावरणीय लाभ

बाजरा कृषि के लिए जल की कम आवश्यकता होती है और यह सूखे में भी अच्छे से उगा जा सकता है, इसलिए यह क्षेत्रों में अल्प जल संसाधन की आवश्यकता को कम कर सकता है। बाजरा के बीज उपायुक्त बनाने में कम उपायुक्त जल की आवश्यकता होती है, और इससे जल संकट से बचाव होता है।

बाजरा को दूसरे प्रमुख फसलों के साथ मिश्रित करने से खेतों का बागवानी सिस्टम बेहतर होता है और बीजों की उपायुक्त उपयोग से फसल के प्रदर्शन में सुधार होता है। बाजरा के खेतों को जैव तरीके से बनाने से, खेतों में पोषक तत्वों की वापसी होती है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहता है। बाजरा जैसे पारंपरिक फसलें जैव विविधता को संरक्षित रखने में मदद कर सकती है

क्योंकि यह केवल जल संकट से बचाने में मदद करती है, बल्कि जैव विविधता को भी समर्थन प्रदान करती है। बाजरा की खेती जल संकट के खिलाफ संवेदनशीलता और सुस्त खेती प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है, जो पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

बाजरा की जैव खेती करने से अधिक जल संकट के बिना खेती की जा सकती है, और यह आपके खेतों को सुस्त और स्वास्थ्यपूर्ण बनाने में मदद करता है। इन प्रमुख तरीकों से, बाजरा की खेती पर्यावरण संरक्षण के लिए एक सुस्त और सुरक्षित विकल्प हो सकती है।

पारंपरिक फसलों की तुलना में बाजरा के लाभ

बाजरा एक पारंपरिक फसल है और इसके कई लाभ हो सकते हैं

  • पौष्टिकता – बाजरा में फाइबर, प्रोटीन, और विटामिन बी की अच्छी मात्रा होती है, जिससे यह एक पौष्टिक फसल मानी जाती है.
  • पूर्णकालिक पर्यापन – बाजरा को अच्छी तरह से पानी नहीं चाहिए, इसलिए यह सूखे क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है, जो पूर्णकालिक पर्यापन की समस्या के साथ होते हैं.
  • कुटियों का निर्माण – बाजरा की स्टॉव बनाने के लिए जिसे चुल्हा या चुल्हे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, वह अच्छा विकल्प हो सकता है.
  • पशुपालन – बाजरा का पशुपालन में भी इस्तेमाल होता है, क्योंकि यह पशुओं के लिए एक अच्छा पचने वाला अनाज होता है.
  • सामाजिक महत्व – बाजरा के उत्पादन और उपयोग के कई स्थानीय सामाजिक परंपराएँ होती हैं, जो समृद्धि का हिस्सा बन सकती हैं।

इन लाभों के बावजूद, बाजरा की खेती के लिए भी कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए, जैसे कि सही खेती तकनीक, बीमारियों का प्रबंधन, और उपयुक्त मानव-पशु गोदाम का निर्माण।

मिलेट्स से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल

Q.मिलेट कितने प्रकार के होते हैं?

मिलेट कई प्रकार के होते हैं। यह एक प्रकार का अनाज होता है जो भारतीय मूल का है। कुछ मुख्य प्रकार हैं: ‘पुनर्वा’ बाजरा (proso millet), ज्वार (Sorghum millet), बाजरा  (pearl millet),  रागी (Finger Millet), सांवा या सनवा बाजरा  (barnyard millet), कोदो बाजरा (kodo millet),  छोटी कंगनी हरी कंगनी बाजरा  (browntop millet),  कंगनी बाजरा (foxtail millet),  कुटकी बाजरा (Little millet)

Q.मिलेट में कौन कौन से अनाज आते हैं?

अनाज को तीन श्रेणियों में रखा गया है।
Negative Grains – नेगेटिव ग्रेन्स का लगातार सेवन करने से भविष्य में कई तरह की बीमारियों की सम्भावना रहती है जैसे- गेहूं, चावल।
Neutral Grains –  न्यूट्रल ग्रेन्स शरीर को स्वस्थ रखता है और ग्लूटेन मुक्त होते हैं।
Positive Grains –   पॉजिटिव ग्रेन्स में छोटे अनाज आते हैं जैसे- कंगनी, सामा, सनवा, कोदो और छोटी कंगनी।

Q.मिलेट का हिंदी नाम क्या है?

मिलेट का हिंदी नाम “बाजरा” है इसके आलवा इसमें ज्वार, कोदो आदि मोटे अनाजों को अंग्रेजी में ‘मिलेट’ (millet) कहते हैं मिलेट दो प्रकार के होते है पहला मोटा अनाज दूसरा छोटे दाने वाले अनाज।

Q.मिलेट्स अनाज क्या होता है?

मिलेट्स अनाज एक अहम खाद्य पदार्थ होते हैं जो भोजन में उपयोग किया जाता है। ये धान्य समूह में आते हैं और विभिन्न प्रकारों में उपलब्ध होते हैं जो भारतीय खाद्य संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं। मिलेट्स अनाज में विटामिन, पोषक तत्व और एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर और विटामिन बी के साथ-साथ बहुत सारे खनिज पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।

निष्कर्ष

 इस आर्टिकल में हमने मिलेट्स क्या है तथा इसके प्रकार के बारे में विस्तृत जानकारी बतायी है। इस लेख में आपको मिलेटस के विभिन्न प्रकार एवं उनकी विशेषताएँ और लाभ इत्यादि के बारे में जानने को मिलेगा। मिलेट्स स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी और पोशाक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ है ख़ासतौर पर उन लोगो के लिये जो किमी से किमी भोजन में अधिक पोषक तत्व और ऊर्जा पाना चाहते है।

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